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अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का उद्गम
- संविधान का प्रारूप तैयार करने के चरण में, संवैधानिक सलाहकार सर बी. एन.राव ने कई देशों का दौरा किया था एवं उन देशों के संविधानों से अनेक रचनात्मक प्रावधानों को भारत के संविधान में शामिल किया था।
- यद्यपि, अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार या अनुच्छेद 142 (1) के प्रावधान भारत के संविधान के लिए अद्वितीय हैं।
- विशेष रूप से, संविधान सभा द्वारा अनुच्छेद 142 पर बिल्कुल भी चर्चा नहीं की गई थी, यद्यपि दो संशोधन प्रस्तावित किए गए थे, जिन्हें बाद में वापस ले लिया गया था।
अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट का क्षेत्राधिकार: चर्चा में क्यों है?
- सर्वोच्च न्यायालय ने कई कर्मचारियों को राहत देते हुए कहा कि कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 के प्रावधान कानूनी एवं वैध हैं।
- इसके अनुसार, जिन कर्मचारियों ने कर्मचारी पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का प्रयोग नहीं किया है, उन्हें ऐसा करने के लिए 4 माह का अवसर और प्रदान किया जाना चाहिए।
- इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय ने कट-ऑफ तिथि बढ़ाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया।
अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार क्या है?
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री अथवा निर्णय पारित कर सकता है या ऐसा आदेश दे सकता है जो उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले या वाद में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक है एवं कोई भी डिक्री पारित की गई है या ऐसा आदेश दिया गया है जिसे भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र में इस तरह से लागू किया जा सकता है जैसा कि संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून द्वारा या उसके तहत निर्धारित किया जा सकता है और जब तक इस संबंध में प्रावधान नहीं किया जाता है, तब तक राष्ट्रपति आदेश द्वारा निर्धारित कर सकते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 142 की कार्यप्रणाली को बहुत स्पष्ट रूप से समझाया है एवं कहा है: “अनुच्छेद 142 के तहत इस न्यायालय की पूर्ण शक्तियां न्यायालय में निहित हैं एवं उन शक्तियों की पूरक हैं जो विशेष रूप से विभिन्न विधियों द्वारा इसे प्रदान की जाती हैं।
- इसमें आगे कहा गया है कि इस अनुच्छेद के तहत शक्ति उपचारात्मक प्रकृति की है जिसका अर्थ किसी वादी के मौलिक अधिकारों की उपेक्षा करने की शक्ति के रूप में नहीं लगाया जा सकता है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख क्षेत्राधिकार
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पास न्यायिक समीक्षा की व्यापक शक्ति है।
- इसे संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट जारी करने का अधिकार है।
- संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत इसका मूल अधिकार क्षेत्र भी है।
- इसे संविधान के अनुच्छेद 132, 133, 134 एवं 136 के तहत व्यापक अपीलीय शक्ति प्राप्त है।
- संविधान के अनुच्छेद 142 के अनुसार, इसे “किसी भी वाद या उसके समक्ष लंबित मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक आदेश” देने की शक्ति है।
अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार: पूर्ण न्याय क्या है?
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, पूर्ण न्याय करने की शक्ति पूरी तरह से एक अलग स्तर तथा गुणवत्ता की शक्ति है जिसे वैधानिक कानून के प्रावधानों द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
- यह शक्ति न्याय के प्रशासन को सक्षम बनाती है एवं जब भी न्यायालय देखता है कि न्याय की मांग इस तरह की शक्ति के प्रयोग कि गारंटी देती है, तो ऐसा संविधान में विशेष रूप से समाविष्ट किए गए इस असाधारण प्रावधान का आश्रय लेकर किया जाता है।