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भारत में एएमआर: प्रासंगिकता
- जीएस 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध: प्रसंग
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस/एएमआर) के लिए टीकों पर सर्वप्रथम रिपोर्ट में, डब्ल्यूएचओ ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध से संबंधित टीकों के परीक्षण में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
एएमआर के लिए डब्ल्यूएचओ वैक्सीन: प्रमुख बिंदु
- प्रतिरोधी जीवाणु (बैक्टीरिया) के कारण होने वाले संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 4.95 मिलियन मौतों से जुड़े हैं, जिसमें 1.27 मिलियन मौतों के लिए प्रत्यक्ष तौर पर एएमआर जिम्मेदार हैं।
- यद्यपि, एएमआर केवल जीवाणु संक्रमण से कहीं अधिक है। प्रतिरोध तब उत्पन्न होता है जब जीवाणु, विषाणु, कवक एवं परजीवी समय के साथ परिवर्तित होते हैं तथा अब दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया भी नहीं देते हैं।
- इसका उपचार करना प्रायः कठिन होता है क्योंकि संक्रमण रोगाणुरोधी दवाओं के लिए प्रतिरोधी बन जाता है।
एएमआर टीके: महत्व
- संक्रमण को सर्वप्रथम रोकने के लिए टीके शक्तिशाली उपकरण हैं और इस कारण से एएमआर संक्रमण के प्रसार को रोकने की क्षमता रखते हैं।
- एएमआर के कारण होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार शीर्ष छह जीवाणु रोगजनकों में से मात्र एक- न्यूमोकोकल रोग (स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया) के लिए एक टीका उपलब्ध है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- रिपोर्ट में जीवाणुज-प्राथमिकता वाले रोगजनकों की सूची में सूचीबद्ध लोगों को दूर करने हेतु नैदानिक विकास के विभिन्न चरणों में 61 वैक्सीन उम्मीदवारों की पहचान की गई है।
- रिपोर्ट ने अंतिम चरण में (इन लेट-स्टेज) वैक्सीन उम्मीदवारों के बारे में भी आगाह किया है क्योंकि उच्च-विकास व्यवहार्यता होने के बावजूद वे शीघ्र ही कभी भी उपलब्ध नहीं होंगे।
- रिपोर्ट में पहले से मौजूद टीकों के लिए समान एवं वैश्विक पहुंच का आह्वान किया गया है, विशेष रूप से उन आबादी के बीच जिन्हें सीमित-संसाधन अवस्थापन में उनकी सर्वाधिक आवश्यकता है।
- इन रोगजनकों के विरुद्ध टीके अल्पावधि में उपलब्ध होने की संभावना नहीं है एवं प्राथमिकता वाले जीवाणु रोगजनकों के कारण प्रतिरोधी संक्रमण को रोकने के लिए वैकल्पिक हस्तक्षेप तत्काल किया जाना चाहिए।
वैक्सीन के विकास में मुद्दे
- मुद्दों में सभी भर्ती अस्पताल के रोगियों के मध्य लक्षित आबादी को परिभाषित करने में कठिनाई, वैक्सीन प्रभावकारिता परीक्षणों की लागत एवं जटिलता तथा संक्रमण के प्रति टीकों के लिए नियामक अथवा नीति पूर्व उदाहरण की कमी सम्मिलित है।
- वैक्सीन का विकास महंगा है एवं वैज्ञानिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, प्रायः उच्च विफलता दर के साथ तथा सफल उम्मीदवारों के लिए जटिल नियामक एवं निर्माण आवश्यकताओं के लिए और समय की आवश्यकता होती है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध क्या है?
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध का अर्थ: रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) सूक्ष्मजीवों की वह क्षमता है जो उन्हें रोकने अथवा मारने के लिए डिज़ाइन की गई दवाओं की उपस्थिति में बने रहने अथवा वृद्धि करने की क्षमता है।
- रोगाणुरोधी नामक इन दवाओं का उपयोग जीवाणु, कवक, विषाणु एवं प्रोटोजोआ परजीवी जैसे सूक्ष्मजीवों के कारण होने वाले संक्रामक रोगों के उपचार हेतु किया जाता है।
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) मानव एवं पशु स्वास्थ्य के लिए बढ़ती चिंता का एक प्रमुख वैश्विक खतरा है। इसका खाद्य निरापद, खाद्य सुरक्षा एवं लाखों कृषक परिवारों के आर्थिक कल्याण पर भी प्रभाव पड़ता है।
एएमआर के प्रसार के कारण
- मनुष्यों द्वारा एंटीबायोटिक्स का सेवन: प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के अनावश्यक उपयोग से निश्चित खुराक के संयोजन से मनुष्यों में प्रतिरोध बढ़ सकता है। स्व-औषधि प्रयोग जैसे मुद्दे, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कब करना है, इसका उचित ज्ञान न होना भी इस निमित्त में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- सामाजिक कारण: नदी में सामूहिक स्नान, यात्रियों द्वारा अपनाई जाने वाली अस्वच्छ प्रथाओं जैसी घटनाएं भी रोगाणुरोधी प्रतिरोध का कारण बन सकती हैं।
- पोल्ट्री में उपयोग: पोल्ट्री उद्योग के विकास के लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। यह मनुष्यों में AMR को और बढ़ाता है।
- फार्मास्युटिकल उद्योग प्रदूषण: एंटीबायोटिक निर्माण इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल में एंटीबायोटिक्स उपस्थित होते हैं, जिससे नदियों एवं झीलों का प्रदूषण होता है।
- अनुपचारित अपशिष्ट: सीवेज जल निकायों के अनुपचारित निपटान से एंटीबायोटिक अवशेषों एवं एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवों के साथ नदियों का संदूषण होता है।