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कौन थे स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा? | असम दिवस समारोह 2022

कौन थे स्वर्गदेव सोलुंग सुकाफा?

  • स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा 13वीं शताब्दी के शासक थे जिन्होंने अहोम साम्राज्य की स्थापना की थी जिसने छह शताब्दियों तक असम पर शासन किया था।
  • यह चराइदेव में था कि सुकफा ने अहोम साम्राज्य के और विस्तार के बीज बोते हुए अपनी पहली छोटी रियासत की स्थापना की।
  • स्वर्गदेव सुकफा प्रत्येक असमिया के लिए एकता, सुशासन, शौर्य का प्रतीक है, जिससे वह प्रेरणा ले सके।
  • स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा को व्यापक रूप से “बोर असोम” या “वृहत्तर असम” के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है।

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सोलुंग सुकाफा एवं असम दिवस चर्चा में क्यों है?

  • असम दिवस, या “असोम दिवस” ​​​​के अवसर पर, प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को मनाया जाता है, पहले अहोम राजा, स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
  • उन्हें “असम के वास्तुकार” के रूप में जाना जाता है।
  • अहोम साम्राज्य के संस्थापक के सम्मान में इस दिन को “सुकाफा दिवस” ​​​​के रूप में भी जाना जाता है।

 

अहोम राजवंश के बारे में जानिए 

  • अहोम राजवंश की स्थापना असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में 1228  ईस्वी में स्वर्गदेव सोलुंग सुकफा द्वारा की गई थी।
  • उन्होंने ब्रह्मपुत्र घाटी तक पहुँचने के लिए पटकाई पर्वतीय क्षेत्र को पार किया था।
  • अहोम साम्राज्य 600 वर्षों तक अस्तित्व में रहा।
  • अहोम साम्राज्य की अपनी भाषा थी एवं वह अपने धर्म का पालन करता था। सदियों से, अहोमों ने हिंदू धर्म एवं असमिया भाषा को स्वीकार किया।
  • 1615 में, अहोम राजवंश मुगल साम्राज्य के साथ अपने प्रथम महत्वपूर्ण संघर्ष में संघर्षरत रहा।
  • अतः, मुगल-अहोम संघर्ष प्रथम बार 1615 में प्रारंभ हुआ तथा उसके बाद भी जारी रहा। इसी पृष्ठभूमि में लचित बड़े हुए।
  • मुगलों ने 1662 में गढ़गाँव की अहोम राजधानी पर विजय प्राप्त की किंतु बाद की लड़ाइयों में पराजित हुए।
  • अतः अहोम शासन को असम के इतिहास में स्वर्णिम शासन के रूप में भी जाना जाता है, मुगल शासकों को दूर रखने का श्रेय भी उन्हें जाता है।

 

कैसे स्वर्गदेव सुकफा ने असमिया समाज का निर्माण किया?

  • स्वर्गदेव सुकफा एक महान राजा थे एवं अहोम वंश के संस्थापक ने बुद्धिमत्ता, वीरता, दूरदर्शिता तथा एकजुटता का एक दुर्लभ संयोजन प्रदर्शित किया जिसने उन्हें असम के अब तक के सर्वाधिक महान नेताओं में से एक बनने में सहायता की।
  • सुकफा का महत्व विभिन्न समुदायों एवं जनजातियों को आत्मसात करने के उनके सफल प्रयासों में निहित है।
  • सुकफा ने असम में निवास करने वाले आदिवासी समुदायों – विशेष रूप से सुतिया, मोरान तथा कचारी के साथ अत्यधिक सौहार्दपूर्ण संबंध विकसित किए थे।
  • उनके नेतृत्व में, असमिया समाज ने आत्मनिर्भर बनने हेतु कार्य किया क्योंकि इसने विभिन्न हथियारों, औजारों, सामानों का निर्माण प्रारंभ किया जिसने समाज को एक अजेय सैन्य शक्ति बना दिया।
  • इस रणनीतिक प्रतिभा ने हमें मुगलों द्वारा अनेक विदेशी आक्रमणों सहित अन्य किसी भी विदेशी आक्रमण को नियमित रूप से विफल करने के लिए सशक्त बनाया।
  • महान असमिया समाज के निर्माण के दौरान महान स्वर्गदेव सुकफा ने जिस दृष्टि एवं मूल्य प्रणाली को अपनाया, वह वर्तमान में भी असमिया समाज का राष्ट्रीय मंच के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़े गर्व के साथ असमिया समाज एवं असम का प्रतिनिधित्व करने में सहायता  प्रदान करता है ।

 

निष्कर्ष

असमिया समाज के निर्माण के लिए विभिन्न समुदायों को एकजुट करने के लिए इस महान आत्मा अर्थात स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा का अमूल्य योगदान असमिया पहचान की आधारशिला है। समाज में शांति, भ्रातृत्व तथा अखंडता  को अनुरक्षित रखने के उनके आदर्शों से प्रत्येक असमी तथा प्रत्येक भारतीय को प्रेरणा मिलनी चाहिए।

 

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