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दिल्ली भूकंप के प्रति इतनी संवेदनशील क्यों है? | यूपीएससी के लिए व्याख्यायित

हम दिल्ली में भूकंप के बारे में क्यों पढ़ रहे हैं?

  • हाल ही में दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को एक के बाद एक भूकंप के झटके महसूस हुए।
  • बड़े पैमाने पर भूकंप से क्षेत्र का सामना करने वाला मंडराता हुआ प्रसुप्त खतरा और अधिक स्पष्ट होता जा रहा है।
  • दिल्ली-एनसीआर उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है तथा भूकंप के लिए अत्यधिक प्रवण है एवं इन झटकों को प्राधिकारियों को अपनी आपदा तैयारियों में वृद्धि करने हेतु एक चेतावनी (वेक-अप कॉल) के रूप में कार्य करना चाहिए।

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दिल्ली में भूकंप का हालिया इतिहास

  • सितंबर 2017 से अगस्त 2020 के बीच, राष्ट्रीय भूकंपीय वैज्ञानिक नेटवर्क द्वारा कुल 745 भूकंप  अभिलिखित किए गए हैं, जिनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (नेशनल कैपिटल रीजन/एनसीआर) में ऐसी 26 घटनाएं शामिल हैं, जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर तीन एवं उससे अधिक है।
  • 2021 में, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कम तीव्रता वाले भूकंपों या आफ्टरशॉक्स (भूकंप के पश्चात कम तीव्रता के झटके) की वजह से कम से कम पांच अवसरों पर झटके महसूस किए गए।

 

दिल्ली में बार-बार भूकंप क्यों आ रहे हैं?

  • भूकंप पृथ्वी की विवर्तनिक (टेक्टोनिक) प्लेटों की गति के कारण उत्पन्न होते हैं, जिसका अर्थ है कि ग्रह की सतह की सबसे बाहरी परत कंपन कर रही है।
  • जब पृथ्वी की सतह के दो खंड एक दूसरे के विपरीत गति करते हैं, तो यह भूकंप का कारण बनता है।
  • भारत उत्तरी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों में प्रायः भूकंप का अनुभव करता है क्योंकि भारत तथा नेपाल के कुछ हिस्से दो विशाल विवर्तनिक प्लेटों की सीमा (भ्रंश क्षेत्रों) पर अवस्थित हैं।
  • भारतीय प्लेट नेपाली प्लेट की ओर गमन कर गई, जिससे हिमालय का निर्माण हुआ। दोनों प्लेटों के टकराने से भी दोनों देश भूकंप की चपेट में आ गए।

 

दिल्ली भूकंप के प्रति इतनी संवेदनशील क्यों है?

  • विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की भौगोलिक स्थिति इसे बार-बार भूकंप के लिए प्रवण बनाती है, क्योंकि यह हिमालय की तलहटी में स्थित है।
  • वैज्ञानिक अध्ययनों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि भारतीय प्लेटें प्रति वर्ष 5-6 सेमी की दर से लगातार यूरेशियन प्लेटों की ओर बढ़ रही हैं।
  • भारतीय मानक ब्यूरो ने भारत के वृहद भूकंपीय क्षेत्रीकरण मानचित्र – ज़ोन V (उच्च तीव्रता) से ज़ोन II (कम तीव्रता) के आधार पर देश को चार प्रमुख क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है।
  • दिल्ली तथा उत्तरी उत्तर प्रदेश के हिस्से जोन IV में आते हैं, जो कि गंभीर श्रेणी है। गुजरात का भुज, जो 2001 में बड़े पैमाने पर भूकंप से प्रभावित हुआ था, जिसमें 20,000 लोगों की मृत्यु हुई थी चंडीगढ़, अंबाला, अमृतसर, लुधियाना तथा रुड़की सभी जोन IV एवं V के अंतर्गत आते हैं।
  • दिल्ली तीन सक्रिय भूकंपीय भ्रंश लाइनों: सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन के समीप स्थित है।
  • यदि ये सक्रिय हो जाते हैं तो इससे 7.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है।
  • दिल्ली हिमालय के करीब है, जिसका निर्माण भारत तथा यूरेशिया जैसी  विवर्तनिक प्लेटों के मिलने से हुआ था। इन प्लेटों में हलचल के कारण दिल्ली-एनसीआर, कानपुर एवं लखनऊ जैसे इलाके भूकंप की दृष्टि से  सर्वाधिक संवेदनशील हैं।

 

क्या होगा यदि आज दिल्ली-एनसीआर में भूकंप आए?

  • विशेषज्ञों के अनुसार, एनसीआर क्षेत्र में लगातार भूकंपीय गतिविधियां जारी हैं, जिससे बड़े भूकंपीय झटके आ सकते हैं।
  • दिल्ली के सीमावर्ती कस्बों में गगनचुंबी निजी इमारतों में वृद्धि देखी गई है, जिनमें से कई भूकंप प्रतिरोधी निर्माण के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स/बीआईएस) द्वारा निर्धारित अनिवार्य दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं।
  • राजधानी क्षेत्र में अनेक अवैध कॉलोनियां तथा यमुना के किनारे जर्जर निर्माण एक बड़े झटके का सामना करने में असमर्थ होंगे।
  • सभी जानते हैं कि दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय क्षेत्र -4 के अंतर्गत आता है तथा  यह  भूकंप के झटकों के प्रति प्रवण है, किंतु फिर भी अधिकांश बिल्डर बीआईएस के मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं।
  • रिक्टर स्केल 6.0 पर दिल्ली में भूकंप का प्रभाव विनाशकारी होगा। कई इमारतें धराशायी हो जाएंगी।

 

दिल्ली में सर्वाधिक जोखिम भरा स्थान कौन सा है?

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा दिल्ली के “भूकंपीय खतरे वाले माइक्रोजोनेशन” पर एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी दिल्ली की अत्यधिक आबादी वाली कॉलोनियों सहित यमुना तथा इसके बाढ़ के मैदानों के साथ अधिकांश स्थान, यदि शक्तिशाली भूकंप के झटके आते हैं तो भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
  • लुटियंस क्षेत्र, जहां संसद, केंद्रीय मंत्रालय तथा अन्य महत्वपूर्ण संरचनाएं स्थित हैं, दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर, करोल बाग, जनकपुरी, पश्चिम विहार एवं रोहिणी के साथ-साथ उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में आता है।
  • दिल्ली हवाई अड्डा एवं हौस खाज दूसरी  सर्वाधिक दुष्प्रभावित “उच्च जोखिम वाली श्रेणी” के अंतर्गत आते हैं।

 

निष्कर्ष

जापान में भूकंप प्रतिरोधी भवन समय की कसौटी पर खड़े उतरे हैं तथा न्यूजीलैंड पुराने भवनों के लिए बेस आइसोलेशन तकनीक अपना रहा है। भारत को इन अनुभवों से एक या दो सबक सीखने होंगे। कानून निर्मित किए जाने चाहिए जो भूकंपीय प्रतिरोध को सभी निर्माण का एक अभिन्न अंग बनाते हों तथा इन्हें अनिवार्य किया जाना चाहिए। प्रत्येक छह माह में प्रत्येक भवन की समुचित जांच की जानी चाहिए।

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

 प्र. दिल्ली किस भूकंपीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है?

उत्तर. दिल्ली एवं उत्तरी उत्तर प्रदेश के हिस्से जोन IV में आते हैं, जो कि गंभीर श्रेणी है।

 प्र.  भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने देश को कितने भूकंपीय क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है?

उत्तर. भारतीय मानक ब्यूरो ने भारत के वृहद भूकंपीय क्षेत्र मानचित्र के आधार पर देश को चार प्रमुख क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है।

प्र. दिल्ली में बार-बार भूकंप आने की संभावना क्या है?

उत्तर. हिमालय की तलहटी में अवस्थित होने के कारण दिल्ली की भौगोलिक स्थिति इसे बार-बार भूकंप के प्रति प्रवण बनाती है।

 

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