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उत्तराखंड में जोशीमठ को भूस्खलन अवतलन क्षेत्र (सब्सिडेंस जोन) क्यों घोषित किया गया है ?: जोशीमठ, उत्तराखंड में चमोली जिले के एक शहर को हाल ही में संबंधित अधिकारियों द्वारा एक भूस्खलन अवतलन-क्षेत्र घोषित किया गया है।
प्रसंग
- जोशीमठ, उत्तराखंड को 08 जनवरी, 2022 को भूस्खलन एवं अवतलन प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया था।
- ऐसा जोशीमठ की अनेक सड़कों एवं घरों में दरारें दिखने के लगभग एक सप्ताह पश्चात किया गया है।
पृष्ठभूमि
- 3 जनवरी को, शहर के निवासी यह जानकर जागे कि भवनों, सड़कों तथा कृषि के खेतों में दरारें काफी चौड़ी हो गई हैं।
- इसके कारण कुछ भवनों को उनकी अस्थिर संरचना के कारण निवासियों के लिए अनुपयुक्त समझा गया।
- साठ से अधिक परिवारों को स्थानांतरित कर दिया गया है क्योंकि उनके घरों को अनिवास्य (निर्जन) माना गया है एवं यह आने वाले महीनों तथा वर्षों में और भी बदतर होने की संभावना है।
किस प्राधिकरण ने जोशीमठ को भूस्खलन सबसिडेंस जोन घोषित किया?
जोशीमठ को भूस्खलन एवं अवतलन प्रभावित (धंसावग्रस्त) क्षेत्र घोषित करने का निर्णय केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों, राज्य सरकार के अधिकारियों एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी/एनडीएमए), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया/GSI) एवं राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी/NIH) जैसी एजेंसियों के अधिकारियों के मध्य हुई उच्च स्तरीय बैठक के दौरान लिया गया था।
भूमि अवतलन क्या है?
- राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन/एनओएए) भूमिगत तत्वों के संचलन के कारण भूमि के धंसने को भूमि अवतलन के रूप में परिभाषित करता है।
- अतः, भूमि अवतलन पृथ्वी की सतह का ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर विस्थापन है। यह आम तौर पर पृथ्वी की सतह के नीचे से अपर्याप्त आलंब के कारण होता है।
- निमज्जन के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिनमें खनन गतिविधियों, भूकंप, मिट्टी का कटाव तथा मृदा के संघनन के साथ-साथ जल, तेल या प्राकृतिक संसाधनों को हटाना शामिल है।
- इस घटना के कारण, लगभग 600 भवनों, सड़कों तथा कृषि क्षेत्रों में दरारें एवं विदर दिखाई दे रही हैं।
जोशीमठ कहाँ अवस्थित है?
- उत्तराखंड में चमोली जिले के एक शहर जोशीमठ को भूमि अवतलन (भू-धंसाव) क्षेत्र घोषित किया गया है।
- जोशीमठ उन 395 गाँवों में से एक है, जिनकी पहचान उत्तराखंड के आपदा-प्रवण क्षेत्र में स्थित होने हेतु की गई है, जो 12 जिलों में विस्तृत है।
- जोशीमठ, एक प्रमुख पर्यटन स्थल को बद्रीनाथ एवं हेमकुंड साहिब का ‘गेटवे‘ माना जाता है एवं इस प्रकार पर्यटकों तथा तीर्थयात्रियों के निरंतर अंतर्वाह के साथ इसका तीव्र गति से विस्तार हुआ है।
जोशीमठ में बार-बार भूमि धंसने के संभावित कारण क्या हैं?
- जबकि जोशीमठ में भूमि अवतलन का सटीक कारण अनिश्चित है, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि यह अनियोजित निर्माण गतिविधियों, क्षेत्र में अधिक जनसंख्या एवं जल के प्राकृतिक प्रवाह तथा जल विद्युत गतिविधियों में बाधा के कारण हो सकता है।
- जोशीमठ एक भूकंपीय क्षेत्र भी है, जो इसे बार-बार भूकंप आने खतरे के प्रति संवेदनशील बनाता है।
- क्षेत्र की अस्थिरता के बारे में चेतावनियां 1976 से चली आ रही हैं, जब मिश्रा आयोग ने विस्फोट करके या शिलाखंडों (बोल्डर) को हटाकर क्षेत्र को निर्माण के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया था।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल के अनुरोध पर 2021 में एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसने निष्कर्ष निकाला था कि शहर भूस्खलन सामग्री पर निर्मित किया गया था।
- इसके अतिरिक्त, उचित जल निकासी व्यवस्था के अभाव ने भी जोशीमठ के अवतलन में योगदान दिया होगा।
- विशेषज्ञों के अनुसार, अनियोजित एवं अनधिकृत निर्माण के कारण जल का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध हो गया, जिसके परिणामस्वरूप बार-बार भूस्खलन हुआ।
- अनेक निवासियों तथा भूवैज्ञानिकों ने भी इस घटना के लिए राज्य के स्वामित्व वाली एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को दोषी ठहराया है एवं आरोप लगाया है कि सुरंग में एक वेधित (पंचर) जलभृत से जल का रिसाव होता था, जिससे जोशीमठ में जल स्रोत सूख गए। हालांकि, एनटीपीसी ने आरोपों से इनकार किया एवं एक वक्तव्य में कहा, एनटीपीसी द्वारा निर्मित की गई सुरंग जोशीमठ शहर के नीचे नहीं गुजरती है। यह सुरंग (टनल) एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) द्वारा खोदी गई है एवं वर्तमान में किसी तरह का विस्फोट (ब्लास्टिंग) नहीं किया जा रहा है।
एम सी मिश्रा कमेटी ने क्या कहा?
- 50 साल पुरानी एमसी मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में सर्वप्रथम इस तरह की घटना के घटित होने की आशंका व्यक्त की गई थी।
- एम सी मिश्रा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ एक पुराने भूस्खलन क्षेत्र पर अवस्थित था एवं इसमें उच्च भार वहन क्षमता नहीं है।
- यह शहर को निरंतर तीव्र गति से बढ़ते आधारिक अवसंरचना तथा आबादी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाता है।
जोशीमठ एवं भूमि अवतलन (भू-धंसाव) के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. जोशीमठ कहाँ अवस्थित है?
उत्तर. उत्तराखंड में चमोली जिले के एक शहर जोशीमठ को भू-धंसाव क्षेत्र घोषित किया गया है।
प्र. भूमि अवतलन अथवा लैंड सब्सिडेंस क्या है?
उत्तर. राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन/एनओएए) भूमिगत तत्वों के संचलन के कारण भूमि के धंसने को भूमि अवतलन के रूप में परिभाषित करता है।
प्र. जोशीमठ पर एम सी मिश्रा कमेटी ने क्या कहा?
उत्तर. 50 वर्ष पुरानी एम सी मिश्रा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ एक पुराने भूस्खलन क्षेत्र पर अवस्थित है तथा इसमें उच्च भार वहन क्षमता नहीं है।