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राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (NAA) को सीसीआई में क्यों समाविष्ट किया जाए? | यूपीएससी के लिए सब कुछ जानें

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया/CCI) एवं राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी/NAA) की प्रासंगिकता

जीएसटी, एनएए एवं  सीसीआई से संबंधित प्रत्येक घटना जीएस 3: यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के तहत राजकोषीय नीति, वैधानिक निकाय, सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप के तहत प्रासंगिक है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया/CCI) एवं राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी/NAA) जैसे वित्तीय प्रहरी के कार्यों  एवं अधिदेश की गहन समझ भी यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

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NAA एवं CCI चर्चा में क्यों हैं?

  • केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स/सीबीआईसी) की सूचनाओं के अनुसार, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया/सीसीआई) इस  वर्ल्ड 1 दिसंबर से वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स/जीएसटी) से संबंधित मुद्दों का समाधान करेगा।
  • अतः, राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी/NAA) इस महीने के अंत तक भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडियाCCI) में समाविष्ट होने हेतु पूर्ण रूप से से तैयार है।

 

NAA के CCI में विलय की पृष्ठभूमि

जीएसटी परिषद (सितंबर 2021) की लखनऊ बैठक में, इस बात पर सहमति बनी कि एनएए का कार्यकाल 30 नवंबर तक बढ़ाया जाना था, जिसके बाद सीसीआई अपने कार्यों को संभालने के लिए कदम उठाएगी।

 

एनएए के बारे में जानिए

  • राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) जीएसटी कानून के तहत पंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अनुचित मुनाफाखोरी गतिविधियों की जांच करने के लिए जीएसटी कानून के तहत वैधानिक तंत्र है।
  • प्राधिकरण का प्रमुख कार्य यह सुनिश्चित करना है कि जीएसटी परिषद द्वारा की गई वस्तुओं एवं सेवाओं पर जीएसटी दरों में कमी एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट के अनुरूप लाभ आपूर्तिकर्ताओं द्वारा कीमतों में कमी के माध्यम से प्राप्तकर्ताओं पर भारित कर दिए जाते हैं।
  • एनएए का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि जीएसटी कानून के तहत पंजीकृत आपूर्तिकर्ता जीएसटी के नाम पर प्राप्तकर्ताओं से अधिक कीमत वसूल कर मुनाफाखोरी नहीं कर रहे हैं।
  • एनएए का कानूनी अधिदेश ऐसी मुनाफाखोरी गतिविधियों का परीक्षण एवं जांच करना है तथा पंजीकरण रद्द करने सहित दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश करना है।
  • इसकी अवधि 30 नवंबर को समाप्त हो रही है।

 

सीसीआई के बारे में जानिए

  • सीसीआई प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (कंपटीशन एक्ट) की धारा 7 के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है, जिसका उद्देश्य प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली प्रथाओं को रोकना, बाजारों में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना एवं बनाए रखना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना तथा व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है।
  • सीसीआई के पास भारी जुर्माना लगाने की शक्ति भी है (जैसे कि सीमेंट कंपनियों पर 6,000 करोड़ रुपये का जुर्माना)।
  • सीसीआई, हालांकि, एक मूल्य नियामक नहीं है एवं व्यवहार में, किसी पक्ष द्वारा लगाए गए उच्च (शोषक) कीमतों से शायद ही कभी संबंधित है।
  • प्रतिस्पर्धा अधिनियम अपीलीय तंत्र को भी स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है; सीसीआई के आदेशों के विरुद्ध अपील राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण तत्पश्चात उच्चतम न्यायालय के समक्ष होती है।

 

NAA का CCI में विलय का क्या अर्थ है?

  • केंद्र सरकार, वस्तु एवं सेवा कर परिषद की सिफारिशों पर, प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (2003 का 12) की धारा 7 की उप-धारा (1) के तहत स्थापित भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को किसी पंजीकृत व्यक्ति द्वारा प्राप्त किए गए क्रेडिट इनपुट कर या कर की दर में कमी के परिणामस्वरूप वास्तव में उसके द्वारा आपूर्ति की गई वस्तुओं या सेवाओं अथवा दोनों की कीमत में कमी आई है,इसकी जांच करने  हेतु अधिकार प्रदान करती है।
  • इससे संबंधित अधिसूचना 1 दिसंबर, 2022 से प्रवर्तन में आएगी।
  • अब तक, यह कार्य राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (NAA) द्वारा संपादित किया जा रहा था, जो वस्तु एवं सेवा कर के तहत मुनाफाखोरी से संबंधित सभी उपभोक्ता शिकायतों का समाधान करता है।

 

NAAs के CCI में विलय से संबंधित मुद्दे क्या हैं?

ऐसा विचार है कि NAA अधिदेश का CCI के साथ विलय करना एक असहज गठबंधन है।

सहक्रिया का अभाव

  • कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि NAA का अधिदेश CCI की भूमिका के नितांत विपरीत है एवं दावा करते हैं कि विलय में कोई सहक्रिया नहीं होगी।
  • एक बाजार नियामक के रूप में, CCI बाजार की शक्तियों के माध्यम से कीमतों की उचित खोज सुनिश्चित करता है, जबकि NAA उपभोक्ताओं को कर लाभ एवं इनपुट क्रेडिट देना अधिदेशित करता है।
  • कर मामलों के प्रबंधन में सीसीआई में विशेषज्ञता के अभाव के साथ-साथ उनकी भूमिकाओं में सहक्रिया की कमी है।

सीसीआई पर अतिरिक्त बोझ

  • NAA के विभिन्न आदेशों को विभिन्न उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है तथा वे अभी भी लंबित हैं। इसके अतिरिक्त, एनएए के समक्ष बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं एवं सीसीआई, इसकी बढ़ती हुई भूमिका के साथ, अतिरिक्त बोझ का निर्वहन करना कठिन हो सकता है।
  • वास्तव में, यह ऐसे समय में सीसीआई के कार्य की गुणवत्ता से समझौता कर सकता है। इस वर्ष  के प्रारंभ में, CCI ने प्रतियोगिता प्रहरी के साथ NAA के प्रस्तावित विलय के बारे में राजस्व विभाग को अपना संदेह व्यक्त किया था।
  • भारत में ई-कॉमर्स के प्रचार एवं विनियमनपर वाणिज्य की संसदीय स्थायी समिति ने सीसीआई को सीसीआई के भीतर एक डिजिटल मार्केट डिवीजन की स्थापना करके भारत में ई-कॉमर्स को विनियमित करने से संबंधित प्रमुख उत्तरदायित्व सौंपने एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रत्याशित विनियमन का दायित्व सौंपा गया है। अतः, प्रस्तावित विलय सीसीआई पर एक नए क़ानून की व्याख्या एवं संबंधित चिंताओं का बोझ ऐसे समय में डालेगा जब इसका ध्यान कहीं और केंद्रित करने की आवश्यकता है।

 

NAA एवं CCI विलय से अधिकतम लाभ प्राप्त करने हेतु क्या किया जाना चाहिए?

  • वर्तमान में, CCI प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले व्यवहार को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है एवं प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने एवं बनाए रखने, उपभोक्ता हितों की रक्षा करने तथा बाजारों में व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने हेतु कार्य करता है।
  • अतः, कुछ व्यावहारिक चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं यदि NAA एवं CCI का विलय हो जाता है क्योंकि NAA की तुलना में CCI का फोकस क्षेत्र व्यापक है, जो केवल ग्राहक को वस्तु एवं सेवा कर के लाभ के पारित होने तक सीमित है तथा इसकी वैधता एनएए को संवैधानिक वैधता के कारण जीएसटी पंजीकरणकर्ताओं द्वारा चुनौती दी जाती है। किंतु NAA एवं CCI का अंतिम उद्देश्य उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना है; ताकि वे इन विषयों का का प्रबंधन कर सकें।
  • इसके अतिरिक्त, “वर्तमान बैंडविड्थ के भीतर तत्काल नियुक्तियों/मूल्यांकन को सीसीआई में एनएए के तेजी से संक्रमण के लिए किया जाना आवश्यक है, विलय के बाद आवश्यक वित्त पोषण एवं बुनियादी ढांचे को एक चुनौती के रूप में देखा जा सकता है एवं सीसीआई भी एक एकल पीठ के साथ बैकलॉग का सामना कर रहा है, जिसके पास सभी मामलों के न्याय निर्णय करने का उत्तरदायित्व है।
  • जीएसटी से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए सीसीआई के भीतर एक अलग प्रकोष्ठ होना चाहिए।
  • विलय के इस कदम की अत्यधिक अपेक्षा थी क्योंकि जीएसटी कर दरों में परिवर्तन नियमित आधार पर हो रहे थे एवं एक निश्चित समय पर जीएसटी में बदलाव तुलनात्मक रूप से कम हैं।

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. मुनाफाखोरी रोधीगतिविधि क्या है?

उत्तर. वस्तुओं एवं सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं को ऐसी आपूर्तियों पर कर की दर में किसी भी कमी के अनुरूप लाभ या कीमतों में कमी के माध्यम से प्राप्तकर्ता को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ देना चाहिए। ऐसे उपर्युक्त लाभों को प्राप्तकर्ता को न देने की कार्रवाई “मुनाफाखोरी” के समान है।

प्र. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत मुनाफाखोरी रोधी तंत्र क्या है?

उत्तर. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 मुनाफाखोरी से संबंधित शिकायतों की जांच एवं निर्णय के लिए 3-स्तरीय संरचना को अधिदेशित करता है।

  1. राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी/NAA)
  2. मुनाफाखोरी रोधी महानिदेशालय (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ एंटी प्रॉफिटियरिंग/DGAP)
  3. राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग समितियां एवं स्थायी समिति।

प्र. राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (NAA) का CCI में विलय कब होगा?

उत्तर. राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (NAA) 01 दिसंबर, 2022 तक भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) में समाविष्ट होने हेतु पूर्ण रूप से तैयार है।

 

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National Anti Profiteering Authority(NAA) is profiteering watchdog and was set up after the introduction of GST, initially for two years, which was extended two times subsequently.

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