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विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2021: प्रासंगिकता
- जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।
विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2021: प्रसंग
- हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आइए) ने वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2021 का विमोचन किया है, जहां यह इस बात की विस्तृत तस्वीर प्रदान करता है कि देश अपने स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में कितनी दूर आ गए हैं एवं उन्हें अभी भी कितनी दूर जाना है।
विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2021: चार प्रमुख क्षेत्र
- आगामी दशक में चार प्रमुख क्षेत्रों में कार्रवाइयां तापमान के 5 डिग्री सेल्सियस स्थिरीकरण के लिए द्वार को खुला रखने हेतु आवश्यक हैं
- स्वच्छ विद्युतीकरण हेतु व्यापक प्रयास;
- ऊर्जा दक्षता की पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना;
- जीवाश्म ईंधन संचालन से रिसाव को रोकने हेतु ठोस प्रयास; तथा
- स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को प्रोत्साहन प्रदान करना।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए)
विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2021: कोविड-19 प्रभाव
- अनेक उदीयमान बाजारों एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को कोविड -19 से निरंतर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ रहा है।
- इसके अतिरिक्त, महामारी ने विद्युत एवं खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन तक पहुंच में सुधार के प्रयासों को विफल कर दिया है।
- इसके अतिरिक्त, धारणीय पुनः प्राप्ति हेतु धन का अभाव है एवं पूंजी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सात गुना अधिक महंगी है।
स्टेटेड पॉलिसीज सिनेरियो (स्टेप्स) क्या हैं?
- घोषित नीतियां परिदृश्य (एसटीईपीएस) वर्तमान नीतिगत विन्यासों को प्रदर्शित करता है जो विशिष्ट नीतियों के क्षेत्र-दर-क्षेत्र मूल्यांकन के आधार पर होती हैं, साथ ही वे जो दुनिया भर की सरकारों द्वारा घोषित की गई हैं।
विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण 2021: प्रमुख निष्कर्ष
- एक नवीन वैश्विक ऊर्जा अर्थव्यवस्था का उदय हो रहा है, किंतु बदलती जलवायु के गंभीर प्रभावों से बचने के लिए इसे और अधिक तीव्र गति से आकार लेने की आवश्यकता होगी।
जीवाश्म ईंधन
- कुल जीवाश्म ईंधन की मांग 2030 के दशक में एक स्थिरांक तक मंद हो जाएगी एवं पुनः 2050 तक थोड़ी गिर जाएगी।
- यह प्रथम अवसर है कि इस परिदृश्य में ऐसा प्रक्षेपण किया गया है।
भारत में अक्षय ऊर्जा संस्थिति- ऊर्जा अर्थशास्त्र एवं वित्तीय विश्लेषण संस्थान द्वारा एक रिपोर्ट
वैश्विक तापमान
- वर्तमान परिदृश्य में वैश्विक औसत तापमान वृद्धि 2030 के आसपास 5 डिग्री सेल्सियस के निशान को पार कर जाएगी एवं 2100 में 2.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद भी यह वृद्धि कर दी रहेगी।
- यदि घोषित निवल शून्य प्रतिज्ञा एवं राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को पूर्ण रूप से क्रियान्वित कर दिया जाता है, तो 2100 में तापमान वृद्धि घटकर 1 डिग्री सेल्सियस हो जाएगी।
- यद्यपि, 2050 तक निवल शून्य उत्सर्जन की सापेक्ष सुरक्षा तक पहुंचने के लिए बहुत अधिक वैश्विक प्रयास आवश्यक होंगे।
भारत में अक्षय ऊर्जा एवं भूमि उपयोग
प्राकृतिक गैस
- डब्ल्यूईओ-2020 स्टेप्स की तुलना में 2050 में प्राकृतिक गैस की मांग लगभग 10% कम होगी।
- यह एशिया में उभरते बाजारों एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में ऊर्जा एवं उद्योग क्षेत्रों में अल्प अनुमानित उपभोग को प्रदर्शित करता है।
तेल
- पेट्रोकेमिकल्स में अधिक मंद वृद्धि एवं अन्यत्र तीव्र गति से कटौती के परिणामस्वरूप स्टेप्स में प्रथम बार 2030 के दशक में तेल की मांग में कमी प्रारंभ होगी।
कोयला
- निकट भविष्य में कोयले के उपयोग में तीव्र उछाल आया है एवं लगभग 2030 तक विगत वर्ष के अनुमानों से ऊपर रहेगा, किंतु इसके पश्चातवर्ती गिरावट, 2020 में प्रक्षेपित अनुमान की तुलना में तीव्र है (एवं पांच वर्ष पूर्व के प्रक्षेपण की तुलना में अत्यधिक तीव्र)।