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विश्व असमानता रिपोर्ट 2022: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
विश्व असमानता रिपोर्ट 2022: प्रसंग
- पेरिस स्थित वर्ल्ड इनिक्वालिटी लैब द्वारा हाल ही में जारी विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत विश्व के सर्वाधिक असमान देशों में से एक है।
विश्व असमानता रिपोर्ट 2022: भारत
- भारतीय जनसंख्या का शीर्ष 10% जनसंख्या के निम्नतम 50% से 20 गुना अधिक आय अर्जित करता है।
- जबकि शीर्ष 10% एवं शीर्ष 1% की कुल राष्ट्रीय आय में क्रमशः 57% एवं 22% हिस्सेदारी है, निम्नतम 50% की हिस्सेदारी घटकर 13% हो गई है।
- भारत एक संपन्न अभिजात वर्ग के साथ एक निर्धन एवं अत्यंत ही असमान देश के रूप में स्पष्ट है।
विश्व असमानता रिपोर्ट 2022: विश्व
- वैश्विक जनसंख्या का सर्वाधिक समृद्ध 10% वर्तमान में वैश्विक आय का 52% धारण करता है, जबकि सर्वाधिक निर्धन आधी जनसंख्या इसका 8% अर्जित करती है।
- जबकि वैश्विक जनसंख्या के सर्वाधिक निर्धन आधी जनसंख्या के पास कुल संपत्ति का मात्र 2% है, वैश्विक जनसंख्या के सर्वाधिक समृद्ध 10% के पास कुल संपत्ति का 76% हिस्सा है।
- यद्यपि अधिकांश देशों में असमानता में वृद्धि हुई है, किंतु विगत दो दशकों में देशों के मध्य इसमें गिरावट आई है।
- एमईएनए (मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका) विश्व का सर्वाधिक असमान क्षेत्र है, जबकि यूरोप में असमानता का स्तर सबसे कम है।
- देशों के भीतर शीर्ष 10% एवं निम्नतम 50% व्यक्तियों की आय के मध्य का अंतर लगभग दोगुना हो गया है।
निजी धन
- चीन एवं भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने धनी देशों की तुलना में निजी संपत्ति में तीव्र गति से वृद्धि का अनुभव किया है।
- चीन, एक साम्यवादी देश होने के बावजूद, हाल के दशकों में निजी संपत्ति में सर्वाधिक वृद्धि हुई है।
- भारत में, यद्यपि, निजी संपत्ति 1980 में 290% से बढ़कर 2020 में 560% हो गई है।
देश समृद्ध बनता जा रहा है, सरकार निर्धन होती जा रही है
- विगत 40 वर्षों में, देश समृद्ध हो गए हैं जबकि उनकी सरकारें निर्धन हो गई हैं। इसका अर्थ है कि राष्ट्रीय संपत्ति में वृद्धि मुख्यतः निजी संपत्ति के कारण हुई है।
- सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति का अंश समृद्ध देशों में शून्य अथवा ऋणात्मक के करीब है, जो दर्शाता है कि सारी संपत्ति निजी हाथों में है।
- कोविड-19 ने केवल स्थिति को बदतर किया है क्योंकि विश्व भर की सरकारों ने निजी क्षेत्र से सकल घरेलू उत्पाद का 10-20% उधार लिया है।
- 2019 एवं 2021 के मध्य वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है।