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विश्व व्यापार संगठन समझौते: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
पिछले लेख में, हमने विश्व व्यापार संगठन के सिद्धांतों पर चर्चा की थी। इस लेख में, हम विश्व व्यापार संगठन समझौतों एवं विश्व व्यापार संगठन तथा भारत के मध्य संबंधों पर चर्चा करेंगे।
मराकेश समझौता
- यह उरुग्वे दौर के निष्कर्षों को लागू करने एवं विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हेतु एक समझौता है, इस समझौते में विश्व व्यापार संगठन के संगठन, सदस्यता, निर्णय निर्माण इत्यादि पर सामान्य प्रावधान सम्मिलित हैं।
कृषि पर समझौता
- कृषि पर विश्व व्यापार संगठन समझौते में कृषि एवं व्यापार नीति के 3 व्यापक क्षेत्रों: बाजार अधिगम, घरेलू समर्थन एवं निर्यात सहायिकी से संबंधित प्रावधान सम्मिलित हैं।
बाजार अधिगम
- इसमें प्रशुल्कीकरण,प्रशुल्कों में कमी एवं अधिगम के अवसर सम्मिलित हैं।
- प्रशुल्कीकरण: इसका तात्पर्य है कि सभी गैर-प्रशुल्क बाधाओं जैसे नियतांश (कोटा), परिवर्तनीय उद्ग्रहण (लेवी), न्यूनतम आयात मूल्य इत्यादि को समाप्त करने एवं इन्हें एक समान प्रशुल्क में परिवर्तित करने की आवश्यकता है।
- सामान्य प्रशुल्क (टैरिफ) सहित प्रशुल्कीकरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न अन्य प्रशुल्क सम्मिलित हैं, को 6 वर्ष की अवधि में प्रत्येक प्रशुल्क मद के लिए 15% की न्यूनतम दर के साथ औसतन 36% की कमी की जानी थी।
- विकासशील देशों को 10 वर्षों में प्रशुल्कों में 24% की कमी करने की अनिवार्यता थी।
- विशेष रक्षोपाय प्रावधान अतिरिक्त शुल्क आरोपित करने की अनुमति प्रदान करता है जब या तो एक विशेष स्तर से ऊपर आयात वृद्धि होती है अथवा विशेष रूप से 1986-88 के स्तर की तुलना में कम आयात मूल्य हो।
घरेलू समर्थन
- घरेलू समर्थन नीतियां, समर्थन के कुल समग्र उपाय (कुल एएमएस) द्वारा मापी जाती हैं, इन्हें विकसित देशों में 20% (विकासशील देशों में 3%) तक कम किया जाना चाहिए।
- कमी प्रतिबद्धताओं का संबंध समर्थन के कुल स्तरों से है न कि व्यक्तिगत वस्तुओं से।
- वि-न्यूनतम स्तर: नीतियां जो विकसित देशों के लिए उत्पादन के मूल्य के 5% से कम एवं विकासशील देशों हेतु 10% से कम पर घरेलू समर्थन के समतुल्य हैं, उन्हें भी किसी भी कमी प्रतिबद्धताओं से अपवर्जित रखा गया है।
निर्यात सहायिकी
- समझौते में निर्यात सहायिकी (सब्सिडी) को कम करने के लिए सदस्यों की प्रतिबद्धता के प्रावधान शामिल हैं।
- विकसित देशों को अपने निर्यात सब्सिडी व्यय को 36% एवं मात्रा 21% तक 6 वर्षों में समान किस्तों में (1986-1990 के स्तर से) कम करने की आवश्यकता है।
- विकासशील देशों के लिए, 10 वर्षों में समान वार्षिक किश्तों में प्रतिशत कटौती निर्यात सब्सिडी व्यय एवं मात्रा हेतु क्रमशः 24% एवं 14% है।
स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता (एसपीएस) उपायों के अनुप्रयोग पर समझौता
- एसपीएस समझौता विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को स्वच्छता (मानव या पशु जीवन या स्वास्थ्य) और फाइटोसैनिटरी (पादप जीवन या स्वास्थ्य) उपायों के विकास, अंगीकरण एवं प्रवर्तन में मार्गदर्शन करने हेतु नियमों का एक ढांचा प्रदान करता है जो व्यापार को प्रभावित कर सकते हैं।
- एसपीएस उपायों को अंगीकृत करने का अधिकार अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर एसपीएस उपायों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से दायित्वों सहित है।
- मूलभूत दायित्व वे हैं जिन्हें एसपीएस उपायों को अवश्य:
- केवल मानव, पशु या पौधे के जीवन या स्वास्थ्य की रक्षा हेतु आवश्यक सीमा तक लागू किया जाना चाहिए एवं आवश्यकता से अधिक व्यापार प्रतिबंधात्मक नहीं होना चाहिए;
- वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए एवं पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण के बिना अनुरक्षित न हो; तथा
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर मनमाना या अनुचित व्यवहार या प्रच्छन्न प्रतिबंध का गठन नहीं करता हो।
वस्त्रों एवं परिधानों पर समझौता
- कपड़ा व्यापार 1974 से बहु – रेशीय (मल्टी-फाइबर) समझौते (एमएफए) द्वारा शासित किया गया है। समझौते में प्रावधान है कि कपड़ा व्यापार को 10 वर्ष की संक्रमण अवधि में धीरे-धीरे गैट व्यवस्था में एकीकृत करके नियंत्रित किया जाना चाहिए। समझौता 2004 के अंत में समाप्त हो गया।
व्यापार से संबंधित निवेश उपायों पर समझौता (ट्रिम्स)
- मराकेश समझौते के तहत शामिल ट्रिम्स, व्यापार से संबंधित निवेश उपायों को संबोधित करते हैं एवं जो विश्व व्यापार संगठन के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करते हैं।
- यह एक समझौता है जिसके लिए राष्ट्रों द्वारा स्वतंत्र रूप से निवेश की अनुमति की अपेक्षा होती है।
- समझौता तीन ट्रिम्स अपेक्षाओं : स्थानीय सामग्री अपेक्षाओं, व्यापार संतुलन अपेक्षाओं एवं विदेशी मुद्रा संतुलन अपेक्षाओं के उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
डंपिंग रोधी समझौता
- इस समझौते का उद्देश्य घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए डंपिंग रोधी उपायों के हनन अथवा दुरुपयोग को रोकने के लिए डंपिंग मार्जिन की गणना एवं डंपिंग जांच इत्यादि हेतु व्यवस्था को कठोर एवं संहिताबद्ध करना है।
सब्सिडी एवं प्रतिकारी उपायों पर समझौता
- इस समझौते का उद्देश्य सहायिकी (सब्सिडी) की परिभाषा को स्पष्ट करना, सब्सिडी के प्रकार (प्रतिबंधित सब्सिडी की सीमा का विस्तार, इत्यादि) द्वारा व्यवस्था को सुदृढ़ करना एवं प्रतिकारी प्रशुल्क (काउंटरवेलिंग टैरिफ) को अपनाने के लिए प्रक्रियाओं को सुदृढ़ एवं स्पष्ट करना है।
बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौता (ट्रिप्स)
- यह समझौता बौद्धिक संपदा के लिए सर्वाधिक पसंदीदा-राष्ट्र (मोस्ट फेवर्ड नेशन) व्यवहार एवं राष्ट्रीय व्यवहार को निर्धारित करता है, जैसे कि
- कॉपीराइट,
- ट्रेडमार्क,
- भौगोलिक संकेतक,
- औद्योगिक डिजाइन,
- पेटेंट,
- आईसी लेआउट
- इसके लिए सदस्य देशों को बौद्धिक संपदा संरक्षण के उच्च स्तर को बनाए रखने एवं ऐसे अधिकारों के प्रवर्तन की एक प्रणाली को प्रशासित करने की भी आवश्यकता होती है।